رحلة إلى ارضروم

رحلة إلى ارضروم पीडीएफ

विचारों:

908

भाषा:

अरबी

रेटिंग:

0

विभाग:

साहित्य

पृष्ठों की संख्या:

250

फ़ाइल का आकार:

3363843 MB

किताब की गुणवत्ता :

अच्छा

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60

अधिसूचना

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प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार और नाटककार अलेक्जेंडर पुश्किन का जन्म 6 जून, 1799 को मास्को में हुआ था। एक कुलीन परिवार में पले-बढ़े, उन्होंने विलासिता का जीवन व्यतीत किया। उनके पिता, जो स्वयं एक प्रमुख कवि थे, ने सिकंदर की काव्य प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिलचस्प बात यह है कि पुश्किन की वंशावली का पता इथियोपिया से लगाया जा सकता है। उनकी मां, नादेज़द ओसिपावना, एक अफ्रीकी इब्राहिम जानिपाल की पोती थीं, जो ज़ार पीटर प्रथम के करीबी अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। परिणामस्वरूप, पुश्किन को कुछ अफ्रीकी विशेषताएं विरासत में मिलीं, जिनमें घुंघराले बाल और मोटे होंठ शामिल थे।

पुश्किन को उन्नीसवीं सदी के महानतम रूसी कवियों में से एक माना जाता है और अक्सर उन्हें "कवियों का राजकुमार" कहा जाता है। उनकी कविता के अध्ययन से समग्र रूप से रूसी साहित्य की गहरी समझ पैदा होती है, साथ ही उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान ज़ार पीटर I से निकोलस I तक के शासनकाल में हुई ऐतिहासिक घटनाओं की भी गहरी समझ पैदा होती है।

उनका युग, जिसे रूसी कविता का स्वर्ण युग कहा जाता है, रूसी, अरबी और ओरिएंटल साहित्य के बीच एक अभिसरण देखा गया। हालाँकि, इसे सामाजिक निरंकुशता द्वारा भी चिह्नित किया गया था, जिसमें ज़ार और कुलीन वर्ग के बीच शक्ति केंद्रित थी। अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से, पुश्किन ने सामाजिक व्यवस्था के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया और लोगों के लिए स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का आह्वान किया। वह रूसी कुलीन वर्ग की शक्ति को सीमित करने और लोगों के बीच अधिक लोकतांत्रिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने की वकालत करने वाले अग्रणी व्यक्ति थे।

दुखद बात यह है कि पुश्किन का जीवन 38 वर्ष की आयु में उनकी पत्नी के मित्र बैरन डेटिन के प्रति नाराजगी के कारण उत्पन्न द्वंद्व के कारण समाप्त हो गया। द्वंद्व के परिणामस्वरूप गंभीर चोटें आईं और 1837 में पुश्किन ने दम तोड़ दिया। फिर भी, उन्होंने एक अमिट साहित्यिक विरासत छोड़ी, और उनके पाठक आज भी उनके कार्यों के गहरे प्रभाव को महसूस करते हैं, जैसे कि उन्होंने अपने जीवनकाल को पार कर लिया हो।

पुस्तक का विवरण

رحلة إلى ارضروم पीडीएफ अलेक्जेंडर पुश्किन

في هذا الكتاب لم يتحدث المترجم عن سيرة الكسندر بوشكين بل ترك الحديث لقلم الكاتب نيقولاي غوغول والذي كتب مقالا حول بوشكين قائلاً "عندما يذكر اسم هذا الرجل تنبجس على الفور الفكرة حول وجود الشاعر القومي الروسي حيث لا يضاهيه أحد من الشعراء في هذا ولا يمكن تسمية غيره من الشعراء بالقومي فهذا الحد يعود له حصراً ، وذكر غوغول إن بوشكين ظاهرة فذة ولربما انه الظاهرة الوحيدة المميزة للروح الروسية فهو إنسان روسي في تطوره وما سيكون عليه ربما بعد مئتي عام وتتجلى فيه الطبيعة الروسية والروح الروسية واللغة الروسية والفطرة الروسية بكل الصفاء وبكل االجمال الطاهر لذي ينعكس فيه المنظر الطبيعي على سطح عدسه محدبة ، حتى حياته نفسها روسية تماما ففيها نزعة التمتع بالملذات وبالحرية التي يصبو إليها الروسي" . القصص المنشورة في هذه المجموعة تعكس موقف بوشكين من احداث عصره في " رحلة الى ارضروم " يطرح موقفه من علاقات الروس بالشعوب الاخرى واحترامهم لتقاليدها وعاداتها وحتى لحكامها وقادتها الذين قاتلوهم. ويذكر الكاتب موقف الدراويش الأتراك منه كشاعر وترحيبهم به وكأنه واحد منهم ويصف احوال حريم الحاكم التركي . ويصف بوشكين في قصصه طبيعة مناطق القوقاز الجبلية الوعرة وأنهارها الجامحة وفرسانها الأباة والتي تأثر بها كثيرا وانعكست صورها حتى في اشعاره ، حيث يروي بوشكين في قصة " العربي ربيب بطرس الأكبر " قصة جده الأكبر إبراهيم الذي أرسله القيصر الى فرنسا لدراسة العلوم العسكرية وعودته إلى روسيا بعد سلسلة مغامرات في اسبانيا حيث حارب الى جانب الفرنسيين وعلاقته الغرامية في باريس مع كونتيسة فرنسية من النبلاء التي أنجبت منه صبيا تم إخفاؤه عن زوج الكونتيسة وبعيدا عن باريس وهنا يتحدث بوشكين عن كيف قرر بطرس الأكبر تزويج ابراهيم من ابنة أحد النبلاء الروس بغية أن يوطد مركزه في مصاهرة أحدهم وكانت هذه قصة من بنات خيال بوشكين وإن جده لم يتزوج أصلا من ابنة نبيل روسي بل من ابنة تاجر يوناني . أما قصة "ليال مصرية" فقد استوحاها من الأسطورة حول كليوباترا وعشاقها وترتبط بالموضة الشائعة في زمان الشاعر حول تناول المواضيع الرومانسية في الإبداع الأدبي ونشرت بعد وفاة الشاعر فقط في مجلة " سوفريمينيك ". وفي قصة "روسلافليوف" تناول الكاتب فترة غزو نابليون لروسيا عام 1812 واصداء تلك الأحداث في مجتمع الطبقة الأرستقراطية الروسية وتعكس القصة لحد كبير الروح الوطنية التي يتمتع بها الشاعر. كان بوشكين من الشعراء الروس الذين ذاع صيتهم في روسيا والعالم بصفته أمير شعراء روسيا وترجمت أعماله الى مختلف اللغات في الوقت الذي نُسي فيه القادة ورجال الدولة.

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