نبض

نبض पीडीएफ

विचारों:

888

भाषा:

अरबी

रेटिंग:

0

विभाग:

साहित्य

पृष्ठों की संख्या:

266

फ़ाइल का आकार:

2814459 MB

किताब की गुणवत्ता :

अच्छा

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47

अधिसूचना

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अधम शरकावी फ़िलिस्तीनी मूल के लेखक हैं। उनका जन्म और पालन-पोषण लेबनान के टायर शहर में हुआ था। वे विवाहित हैं और उनके एक बेटा और तीन बेटियाँ हैं। उन्हें अरब दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समकालीन लेखकों में से एक माना जाता है। उन्होंने शिक्षा संकाय से शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा और बेरूत में लेबनानी विश्वविद्यालय से अरबी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने कतरी अखबार, अल-वतन में काम किया। उन्होंने व्यंग्य मंच मंच पर लिखना शुरू किया, फिर 2012 में अपनी पहली किताब प्रकाशित की, जिसका नाम अहदीथ अल-सबाह था। वह अपने लेखन को एक छद्म नाम "कस बिन सादा" के तहत प्रकाशित करता है।

उनके लेखन में विचारों की समृद्धि और गहराई की विशेषता है, और अपनी पुस्तकों में वे दर्शन, धर्म, राजनीति और संस्कृति सहित विभिन्न विषयों से संबंधित हैं। शरकावी ने उपन्यास और लघु कहानी संग्रह सहित कई साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित की हैं, लेकिन उनकी सबसे प्रमुख कृतियों में से एक पुस्तक "लेटर्स फ्रॉम द क़ुरान" है, जो 2017 में प्रकाशित हुई थी। "चेक मलक", "हदीस अल-सबा" और "कानून के बाहर लिखावट"।

पुस्तक का विवरण

نبض पीडीएफ अधम शरकावी

عن الرواية كتبت هديل عطالله: "هي رواية تحكي قصة حب في زمن الحرب؛ فطالما زجّ النّاس "الراء" بين الحاء والباء فانتقلنا من أجمل ما عرفه الإنسان _وهو الحب_ إلى أسوأ ما عرفه، وهي الحرب"، بهذا يستهل الكاتب الفلسطيني أدهم شرقاوي حديثه لمراسلة "فلسطين"، الذي دار عن روايته "نبض" التي صدرت حديثًا، ويمكنك _عزيزي القارئ_ أن تطلع على بعضٍ من مقتطفاتها التي سنوردها في السياق. تقع الرواية في أربعة فصول، في فصلها الأول يحكي عن الحرب ومآسيها، ويسردُ لحروب ماضية لم يتعلم النّاس دروسها، ويمزجُ بين الماضي والحاضر، عن ذلك يقول "قس بن ساعدة" (وهو الااسم "المستعار" المعروف به الكاتب): "حاولت أن أقنع القارئ برؤيتي، وهي أن الحرب وأسبابها ومشعليها هي نفسها في كل زمن، ولكن المقاتلين يتغيّرون". ويبدو متحفزًا وهو يشرح عن تفاصيل "نبض": "في الفصل الثاني أتعرّضُ لقضايا اجتماعيّة معينة، مثل محاولة تفسير الجنون وتبيان الشعرة الرفيعة بينه وبين العبقرية، وانتقاد ظاهرة مأسسة الدين وتحويله من دعوة إلى وظيفة، وفي الفصل الثالث أسردُ اللقاء بين الراوي ونبض، وهو فصل غزليّ بامتياز يحكي نشوء علاقة الحب بينهما، في الفصل الرابع أحكي عن موت نبض، وكان من الضروري أن أقتلها لأوصل رسالتين: الأولى أنّه حتى تحت فوهات البنادق هناك متسع للحب، والثانية أن كل من يخوض الحرب خاسر لا محالة، المنتصر والمهزوم على السواء، فحين ننتصر في الحرب سنجدنا مهزومين بإنسانيتنا، وهذه خسارة فادحة لا يمكن للنصر ترميمها". ويشير إلى أن الرواية ليست مستوحاة من قصة حقيقية، وإن كانت تُحاكي بالرمز واقع الربيع العربيّ، "فهي تصوّر حربًا أهلية، صراعًا بين العبيد والأحرار في حلبة الوطن". ويعد قس بن ساعدة الرواية تجربة كتابية انقلبَ فيها على نفسه كونها تجربته الروائيّة الأولى، فهي _لا شك_ مغايرة في الأسلوب والمضمون لما كان الحال عليه في إصداراته السبع السابقة.

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