ثاني اثنين

ثاني اثنين पीडीएफ

विचारों:

894

भाषा:

अरबी

रेटिंग:

0

विभाग:

साहित्य

पृष्ठों की संख्या:

204

फ़ाइल का आकार:

1790256 MB

किताब की गुणवत्ता :

घटिया

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52

अधिसूचना

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अधम शरकावी फ़िलिस्तीनी मूल के लेखक हैं। उनका जन्म और पालन-पोषण लेबनान के टायर शहर में हुआ था। वे विवाहित हैं और उनके एक बेटा और तीन बेटियाँ हैं। उन्हें अरब दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समकालीन लेखकों में से एक माना जाता है। उन्होंने शिक्षा संकाय से शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा और बेरूत में लेबनानी विश्वविद्यालय से अरबी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने कतरी अखबार, अल-वतन में काम किया। उन्होंने व्यंग्य मंच मंच पर लिखना शुरू किया, फिर 2012 में अपनी पहली किताब प्रकाशित की, जिसका नाम अहदीथ अल-सबाह था। वह अपने लेखन को एक छद्म नाम "कस बिन सादा" के तहत प्रकाशित करता है।

उनके लेखन में विचारों की समृद्धि और गहराई की विशेषता है, और अपनी पुस्तकों में वे दर्शन, धर्म, राजनीति और संस्कृति सहित विभिन्न विषयों से संबंधित हैं। शरकावी ने उपन्यास और लघु कहानी संग्रह सहित कई साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित की हैं, लेकिन उनकी सबसे प्रमुख कृतियों में से एक पुस्तक "लेटर्स फ्रॉम द क़ुरान" है, जो 2017 में प्रकाशित हुई थी। "चेक मलक", "हदीस अल-सबा" और "कानून के बाहर लिखावट"।

पुस्तक का विवरण

ثاني اثنين पीडीएफ अधम शरकावी

عندما ينتهي الأنبياءُ يبدأ أبو بكر وعندما ينتهي أبو بكر يبدأ النَّاس! هكذا هو فئة وحده أدنى من الأنبياء قليلاً وأعلى من النَّاسِ كثيراً لا يُشبه أحداً ولا يشبهه أحد نموذج فريد مُعَدٌّ بإتقانٍ ليكون صِدِّيقَ هذه الأمة وأتى من بعيدٍ تفوحُ منه رائحة الصحراء… عربيٌ خالص لا شِية فيه! نحيلٌ كأنه سُنبلة قمح! دقيق السَّاقين كأنه عدَّاء، ولكن ثمة شيء فيه يخبرك أنَّ له سِباقاً غير سباقات النّاس! وجهه أبيض نجا من شمس الصحراء بأعجوبة! ظهره فيه انحناء قليل كأنّه كان يحملُ شيئاً ثقيلاً على كتفيه طوال عمره، ولكن نظراته الثاقبة تخبرك أن هذا الحِمل لم يكن بإمكان غيره أن يحمله! لحيته مخضوبة بحناء مائلة إلى الحُمرة كأنَّ الشمس لحظة المغيب لم تجد لها مأوى غيرها! ثيابه بالية، ولكن الرجل عليه مسحة عراقة التاريخ! أردتُ أن أسأله: من أنتَ؟! ولكن ثمة رجال تفقِدُ لغتكَ في حضرتهم، وقد كان واحداً منهم! أطلتُ النظر إليه وصمتي يُكبلني، وفضولي يقتلني لأعرف من هو ولكنه أزاح عني كل هذا حين قال: لكَ السَّلام. صوته عذب كأن الحروف تخرج من حِجر إسماعيل لا من فمه، فيه رِقَّة كدعوات الأمهات، وخشوع كتلاوة سورة الرحمن!

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