Vier moralische Schriften

Vier moralische Schriften पीडीएफ

विचारों:

463

भाषा:

जर्मन

रेटिंग:

0

विभाग:

निबंध

पृष्ठों की संख्या:

495

फ़ाइल का आकार:

217080 MB

किताब की गुणवत्ता :

घटिया

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35

अधिसूचना

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अम्बर्टो इको (1932-2016) एक इतालवी लेखक, दार्शनिक, लाक्षणिक और साहित्यिक आलोचक थे। उन्हें उनके उपन्यास "द नेम ऑफ़ द रोज़" (इल नोम डेला रोज़ा) के लिए जाना जाता है, जो 1980 में प्रकाशित हुआ था और एक अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर बन गया था। इको के कार्यों में अक्सर ऐतिहासिक कथा, रहस्य और बौद्धिक अन्वेषण के मिश्रित तत्व होते हैं।

एलेसेंड्रिया, इटली में जन्मे, इको ने ट्यूरिन विश्वविद्यालय में मध्यकालीन दर्शन और साहित्य में अध्ययन किया। वह सांकेतिकता, संकेतों और प्रतीकों के अध्ययन और उनकी व्याख्या में एक प्रमुख विद्वान बन गए। उन्होंने लाक्षणिकता पर एक अनूठा दृष्टिकोण विकसित किया, इसे दर्शन, साहित्य और सांस्कृतिक विश्लेषण में अपनी रुचियों के साथ एकीकृत किया।

"द नेम ऑफ़ द रोज़" ने इको को साहित्यिक ख्याति दिलाई। उपन्यास एक मध्यकालीन मठ में स्थापित है और बास्केरविले के फ्रांसिस्कन तपस्वी विलियम का अनुसरण करता है क्योंकि वह रहस्यमय मौतों की एक श्रृंखला की जांच करता है। यह पुस्तक ऐतिहासिक कथा, जासूसी कथा, और जटिल धार्मिक और दार्शनिक बहस के तत्वों को उत्कृष्ट रूप से जोड़ती है।

इको के अन्य उल्लेखनीय कार्यों में 1988 में प्रकाशित "फौकॉल्ट का पेंडुलम" (इल पेन्डोलो डि फौकॉल्ट) और 2010 में प्रकाशित "द प्राग सिमेट्री" (इल सिमिटेरो डी प्रागा) शामिल हैं। दोनों उपन्यास साजिश, ऐतिहासिक घटनाओं और समान विषयों के समान विषयों का पता लगाते हैं। सूचना का हेरफेर।

एक लेखक के रूप में अपने करियर के अलावा, Umberto Eco एक सम्मानित अकादमिक और बुद्धिजीवी थे। उन्होंने बोलोग्ना विश्वविद्यालय में लाक्षणिकता सिखाई, जहां उन्होंने संचार विज्ञान विभाग की भी स्थापना की। उन्होंने सौंदर्यशास्त्र, भाषा विज्ञान, मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर कई विद्वानों के लेख और निबंध प्रकाशित किए।

इको की कृतियाँ अक्सर पाठकों को जटिल आख्यानों, अंतर्पाठीयता, और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक संदर्भों की प्रचुरता के साथ चुनौती देती हैं। उन्हें उनके विद्वता और बौद्धिक गहराई के लिए जाना जाता था, और उनके लेखन का अध्ययन उनकी समृद्धि और जटिलता के लिए किया जाता है।

पुस्तक का विवरण

Vier moralische Schriften पीडीएफ अम्बर्टो इको

"Vier moralische Schriften" ist eine Sammlung von Essays, die von Umberto Eco, einem renommierten italienischen Schriftsteller und Intellektuellen, verfasst wurden. Das Buch, das im Jahr 1997 veröffentlicht wurde, enthält vier Haupttexte, in denen Eco moralische Fragen, Ethik und menschliches Verhalten aus verschiedenen Perspektiven betrachtet.

Der erste Essay in der Sammlung ist "Die Rhetorik des Bildes", in dem Eco die Beziehung zwischen Bildern und Texten untersucht. Er erforscht die Art und Weise, wie Bilder Botschaften vermitteln und wie die Interpretation von Bildern von kulturellen und historischen Kontexten abhängt.

Der zweite Essay trägt den Titel "Die Macht der Lüge" und beschäftigt sich mit dem Phänomen der Lüge und ihrer Bedeutung in der menschlichen Kommunikation. Eco analysiert die verschiedenen Arten von Lügen und die Rolle, die sie in der Politik, den Medien und dem täglichen Leben spielen.

Der dritte Text, "Der Glücksfaktor", erforscht das Konzept des Glücks und die verschiedenen Ansätze, um es zu erreichen. Eco untersucht philosophische und psychologische Theorien über das Glück und stellt die Frage, ob es objektive Kriterien für ein glückliches Leben gibt.

Der letzte Essay in der Sammlung heißt "Ethik und Ästhetik des Zitats" und beleuchtet die Rolle von Zitaten in der Literatur und im intellektuellen Diskurs. Eco untersucht die ethischen und ästhetischen Implikationen des Zitierens und diskutiert, wie Zitate das Werk eines Autors beeinflussen können.

"Vier moralische Schriften" bietet eine faszinierende und intellektuell anregende Lektüre. Eco's Schreibstil ist präzise und tiefgründig, und er regt den Leser dazu an, über moralische und ethische Fragen nachzudenken. Die Essays bieten eine breite Palette von Themen und Ansichten, die den Leser dazu anregen, seine eigenen Überzeugungen und Werte zu hinterfragen.

Das Buch wurde von Kritikern hoch gelobt und hat sowohl bei akademischen Lesern als auch bei allgemeinen Lesern Anklang gefunden. Es ist eine wertvolle Ergänzung für diejenigen, die sich für Ethik, Kommunikation und das menschliche Verhalten interessieren und einen Einblick in die Denkwelt eines der bedeutendsten intellektuellen Autoren unserer Zeit erhalten möchten.

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